Skip to Content

■ बाथरूम और शौचालय-

भवन के उत्तर-पूर्व (NE) मे बाथरूम और शौचालय नही बनाना चाहिए। यह एक गंभीर वास्तुदोष है। उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) को बहुत ही पवित्र स्थान माना जाता है और भगवान शिव का स्वामित्व है,भगवान शिव का एक नाम ईशान भी है। उत्तर-पूर्व में वास्तु पुरुष का सिर है। इस स्थान पर शौचालय बाथरूम बनाने से आर्थिक समस्याए, स्वास्थ्य समस्याए, संतान में समस्याए और अनावश्यक तनाव भी आते है। शौचालय मे कमोड की सीट को इस तरह से रखा जाना चाहिए कि उसका उपयोग करते समय व्यक्ति का चेहरा उत्तर दिशा मे रहे। नल और शावर जैसे जल स्रोत बाथरूम ओर शौचालय की उत्तर या पूर्व की दीवारों पर होने चाहिए। बाथरूम उत्तर या पूर्व दिशा मे बनाना  सबसे अच्छा होता है। नहाते समय उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए। वेंटिलेशन की व्यवस्था हो तो यह अच्छा रहता है। बाथरूम मे तेल शैम्पू साबुन टाॅवल आदि रखने के लिये अलमारी दक्षिण या पश्चिम दिशा मे बनानी चाहिए। आजकल शौचालय बाथरूम मे बहुत ज्यादा सजाने का फैशन चल रहा है। फेंगशुई के अनुसार  शौचालय को ज्यादा सजाने से घर की सकारात्मक उर्जा फ्लश हो जाती है। यूँ तो वास्तुशास्त्र ओर फेंगशुई दोनो के ही पुराने ग्रंथो मे टॉयलेट को घर के अंदर निषेध किया गया है। इसके विपरीत बाथरूम को घर के अंदर होना शुभ माना गया है। बाथरूम मे एक दर्पण जरूर लगाना चाहिए, बाथरूम मे गीजर को आग्नेय कोण मे ही लगायें।